खरीफ का सीजन अपने पीक पर है। इस दौरान देश में सबसे ज्यादा धान उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में धान की फसल तैयार हो चुकी है। ज्यादातर राज्यों में तो धान की कटाई भी खत्म हो चुकी है और फसल मंडियों में पहुंचने लगी है। इसको देखते हुए कुछ राज्य सरकारें MSP पर धान की खरीदी प्रक्रिया शुरू कर चुकी हैं, जबकि कुछ सरकारें धान को MSP पर 1 अक्टूबर से खरीदना प्रारम्भ करेंगी।
अन्य राज्यों को देखते हुए अब जम्मू और कश्मीर का प्रशासन भी अपने राज्य के किसानों की मदद के लिए आगे आया है। जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने घोषणा की है कि राज्य में धान किसानों की मदद करने के लिए 23 नई मंडियां खोली जाएंगी, जिसमें किसानों को तमाम आधुनिक सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी, ताकि जम्मू और कश्मीर के किसान बिना किसी परेशानी के अन्य राज्यों के किसानों की तरह अपनी धान की फसल को आसानी से बेच पाएं। राज्य में नई मंडियों की स्थापना करने के लिए जम्मू कश्मीर एडमिनिस्ट्रेशन के साथ एग्रीकल्चर ऑफिसर अपने काम पर लग गए हैं। नई मंडियों की स्थापना और जमीन अधिग्रहण में किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए प्रशासन ने सख्त निर्देश जारी किये हैं।
जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने बताया कि जो 23 मंडिया स्थापित की जानी है वो जम्मू डिवीजन के अंतर्गत ही स्थापित की जाएंगी, क्योंकि धान की पैदावार इसी डिवीजन में होती है। प्रशासन ने बताया कि 11 मंडियां जम्मू जिले में, 11 मंडियां कठुआ जिले में और एक मंडी सांबा जिले में स्थापित की जाएगी। जम्मू और कश्मीर प्रशासन के अंतर्गत आने वाला कृषि उत्पादन व किसान कल्याण डिपार्टमेंट ने इसको लेकर कार्य योजना बनानी शुरू कर दी है। जल्द ही इसकी सूचना भी सार्वजनिक कर दी जाएगी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य भी हुआ तय
राज्य में नई धान मंडियों की घोषणा के साथ ही जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने राज्य के किसानों को तोहफा देते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य की भी घोषणा कर दी है। प्रशासन के अनुसार, राज्य में ए ग्रेड धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2060 रूपये प्रति क्विंटल रखा गया है, जबकि सामान्य धान 2040 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ खरीदा जाएगा। इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर केंद्र सरकार ने जो दिशा निर्देश जारी किये हैं, मंडियों में उसी के अनुसार खरीदी की जाएगी।
तीनों जिलों में बारदाने की व्यवस्था करने के निर्देश
जिन जिलों में धान की खरीदी होनी है, उन जिलों में प्रशासन की तरफ से बारदाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि किसी भी फसल की खरीदी बिना बारदाने के नहीं हो सकती। इसलिए प्रशासन ने उचित मात्रा में बारदाना रखने के निदेश दिए हैं। साथ ही प्रशासन ने बताया है कि मंडियों में किसानों की समस्याओं को निपटाने के लिए हेल्पडेस्क बनाने के निर्देश भी दिए गए हैं, जहां पर एक मंडी कर्मचारी हमेशा तैनात रहेगा। यदि किसानों को फसल बेचने से संबधित किसी भी प्रकार की समस्या होती है तो किसान की उस समस्या को हेल्पडेस्क में उपस्थित कर्मचारी नोट करेगा और किसान को त्वरित समाधान प्रदान करने की कोशिश करेगा।
पंजाब और हरियाणा में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 1 नवम्बर से प्रारम्भ होने जा रही है। हरियाणा सरकार ने इस साल 55 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए सरकार ने 400 से अधिक मंडियों में धान खरीदी की व्यवस्था की है। मंडियों में खरीदी को लेकर सभी प्रकार की व्यवस्थाएं पूरी कर ली गईं हैं। इनके अलावा छत्तीसगढ़ में 1 नवम्बर से धान की खरीदी प्रारम्भ होगी। इस दौरान छत्तीसगढ़ सरकार ने 1.1 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी का लक्ष्य रखा है। जिसके लिए सरकारी अफसर व्यवस्थाएं चाक चौबंद करने में लगे हुए हैं।
केंद्र सरकार मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत किसानों से फसलों की ताबड़तोड़ खरीददारी कर रही है। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने जानकारी दी है, कि अब तक केंद्र सरकार 24,000 टन मूंग खरीद चुकी है। इसके साथ ही सरकार आगामी दिनों में 4,00,000 टन खरीफ मूंग की खरीददारी करने जा रही है। इसके लिए सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है। सरकार यह 4,00,000 टन खरीफ मूंग उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हरियाणा और महाराष्ट्र समेत 10 राज्यों के किसानों से खरीदेगी।
अधिकारियों ने बताया है, कि मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) को पूरी तरह से केंद्र सरकार का कृषि मंत्रालय नियंत्रित करता है। कृषि मंत्रालय जब देखता है, कि बाजार में फसलों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे गिर गए हैं, तब कृषि मंत्रालय मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत किसानों से फसलें खरीदना प्रारंभ कर देता है। ताकि किसानों को अपनी फसलों को औने पौने दामों में बेचने पर मजबूर न होना पड़े। यह खरीददारी कृषि मंत्रालय के आधीन आने वाला भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) करता है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल अभी तक 24,000 टन मूंग की खरीदी हो चुकी है, जिसमें से 19,000 टन अकेले कर्नाटक के किसानों से खरीदी गई है।
कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि सरकार लगातार प्रयास कर रही है, जिससे किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल पाए। इसके लिए खरीदी प्रक्रिया की हर राज्य में सघनता से जांच की जा रही है। ताकि किसानों को अपनी फसलों को बेचने पर किसी भी प्रकार की परेशानी न होने पाए।
बकौल कृषि मंत्रालय, मूंग के अलावा 2022-23 खरीफ सत्र में उगाई गई 2,94,000 टन उड़द और 14 लाख टन मूंगफली की भी खरीददारी की जाएगी। कृषि मंत्रालय ने इसकी स्वीकृति भी भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) को भेज दी है। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) ने कृषि मंत्रालय को अपने जवाब में बताया है, कि इस साल अभी तक उड़द और मूंगफली की खरीद नहीं हो सकी है। क्योंकि अभी भी बाजार में इन दोनों फसलों के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से बहुत ज्यादा ऊपर चल रहे हैं। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) ने अभी तक जिन फसलों की खरीद की है। उन्हें कृषि मंत्रालय ने राज्य सरकारों को देना शुरू कर दिया है, ताकि इन फसलों को पीडीएस के माध्यम से खपाया जा सके।
इसी तरह अगर खरीफ की फसलों के अंतर्गत आने वाले धान की फसल की बात करें, तो अभी तक भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) के माध्यम से सरकार ने 306.06 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की है। जबकि सरकार का लक्ष्य 775.72 लाख टन धान खरीदने का है।
किसानों के लिए अच्छी व्यवस्था एवं उनकी सुविधाओं का भी खरीद केंद्र प्रशासन व जिला प्रशासन काफी ख्याल रख रहे हैं। छत्तीसगढ़ के समस्त जनपदों की मंडियों में धान खरीदी तेजी से चल रही है। यदि राज्य सरकार के आंकड़ों पर ध्यान दें, तो राज्य में तकरीबन 55 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की जा चुकी है। इस धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) (MSP On Paddy) के तौर पर लगभग 14 लाख कृषकों के खाते में साढ़े 11 हजार करोड़ रुपये की धनराशि भेजी जा चुकी है। इस धनराशि को बैंक लिंकिंग व्यवस्था के माध्यम से भेजा गया है।
कितने लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य तय किया गया है
प्रदेश में एक नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ की जा चुकी है। राज्य सरकार द्वारा धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस वर्ष कृषकों द्वारा 110 लाख मीट्रक टन धान खरीदी की जानी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री (भूपेश बघेल) जी ने समस्त जनपदों के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है, कि खरीद केंद्रों पर जो भी किसान आऐं उनको कोई भी प्रकार की परेशानी या दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े। निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए धान खरीद करना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए किसानों का धान हर कीमत पर खरीदा जाए।
कितने न्यून्तम समर्थन मूल्य पर खरीदा जायेगा धान
छत्तीसगढ़ राज्य में धान खरीदी एमएसपी के अनुरूप की जा रही है, धान खरीदी हेतु 2594 उपार्जन केन्द्र स्थापित किये जा चुके हैं। छत्तीसगढ़ में सामान्य धान 2040 रुपये प्रति क्विंटल एवं ग्रेड-ए धान 2060 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कृषकों द्वारा खरीदा जा रहा है। वहीं, दूसरे राज्य से विक्रय हेतु आये हुए धान पर काफी सजगता व सतर्कता बरती जा रही है। प्रशासन इसको एक अवैध परिवहन मानता है और तत्कालिक रूप से कार्यवाही भी कर रहा है।
धान खरीदी हेतु 70,356 टोकन, साथ ही, टोकन तुंहर हाथ एप के माध्यम से 19,481 ऑनलाइन टोकन जारी किए जा चुके हैं। किसान ऑनलाइन पंजीकरण में भी अपना रुझान कर रहे हैं, इस वर्ष 25.92 लाख कृषकों का पंजीकरण हो गया है। इसमें से करीब 2.26 लाख नवीन कृषक सम्मिलित हुए हैं। दूसरी जगह पंजीकृत कृषकों का धान का क्षेत्रफल में वृध्दि होकर 30.44 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है।